ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने..
ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने.. ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने.. जागती आँखों का ख़्वाब था, नींद की कोपलों में लिपटा सा ख़्वाब था, अँधेरे का गिलाफ़ ओढ़े हुए, किसी कोने की चार-दीवारी में सिमटा सा ख़्वाब था. ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने.. ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने.. तुम उस ख़्वाब में कितनी खूबसूरत थी, उस ख़्वाब में कलकल नदी की तरह बहती रही, मुझसे कभी कोई रुखा-रूठा सवाल भी नहीं पूछा, बस मुझको बाहों में लेती रही, आत्मसात करती रही. ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने.. ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने.. बेदाग़ चन्द्रमा के होने जैसी मिथ्या थी तुम, इन्द्रधनुष के स्वर्ण-कलश जैसी कल्पना थी तुम, अधखुली-अल्साई पलकों से छिटकी हुई, जागती आँखों में उतराई मृग-तृष्णा थी तुम. ज़िन्दगी तुझको तो बस ख़्वाब में देखा हमने..