चमकता सितारा
चमकता सितारा
बचपन में माँ ने एक तारा दिखाया,
चटख अमावस रात में,
एक चमकता सितारा.
कहा जो कुछ भी चाहिए,
इससे ही मांग लेना, मिल जाएगा.
तबसे मेरी कामधेनु बन गया,
मेरा चमकता सितारा.
आईसक्रीम न मिल पाने पर,
मीठी ठंडक देता,
मेरा चमकता सितारा.
गेंद खो जाने पर,
साक्षात गोल पिंड बन जाता,
मेरा चमकता सितारा.
दीवाली में पटाखे ख़तम हो जाने पर,
झिलमिल फुलझड़ी बन जाता,
मेरा चमकता सितारा.
किताब के पन्नो के बोझिल पड़ने पर,
टिमटिम प्रदर्शनी बन जाता,
मेरा चमकता सितारा.
मेरी दादी माँ के 'जाने' के बाद,
उनका अपना घर बन गया,
मेरा चमकता सितारा.
सूनी आँखें जब किसी दोस्त को ढूँढती,
कंधे पर गल-बैय्याँ डाले साथी बन जाता,
मेरा चमकता सितारा.
लेकिन आजकल रूठा रूठा सा है,
मेरा चमकता सितारा.
विचलित मन अगर थोड़ा आश्वासन खोजता है,
तो अब मुँह बिचका लेता है,
मेरा चमकता सितारा.
आकुल ह्रदय अगर कभी सौंदर्य तलाशता है,
तो अब आँखें तरेर देता है,
मेरा चमकता सितारा.
कब तक विमुख रहेगा मुझसे,
मेरा चमकता सितारा.
विचलित मन, आकुल ह्रदय की मनुहार,
कब तक टालता रहेगा,
मेरा चमकता सितारा.
आँखें मूंदे, बाहें पसारे, साँसे रोके खड़ा हूँ,
सोचता हूँ, वापस कब लौटेगा,
मेरा चमकता सितारा.
कल्पना के भटकते आयाम वहीं पर जाकर स्थिर हो जाते हैं, चमकते सितारे पर।
ReplyDeleteSuch a lovely poem....
ReplyDeletenicely crafted.........
ReplyDeletegood one
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