आओ लिखें कुछ नया
आओ लिखें कुछ नया
आओ लिखें कुछ नया,
आकांक्षा की स्याही से,
नवचेतना के पन्नो पर,
कुछ कुरेंदे, कुछ उकेरें,
आओ लिखें कुछ नया,
ऐसा जो बस ऐसा हो,
बिलकुल जीवन के जैसा हो,
कुछ सुबह, कुछ शाम,
आओ लिखें कुछ नया.
आओ लिखें कुछ नया,
लेखनी स्वतः अपनी राह पकड़ ले,
विचार उन्मुक्त हो बह निकलें,
कुछ ज़ाहिर, कुछ छिपे,
आओ लिखें कुछ नया.
आओ लिखें कुछ नया,
कि पढ़े तो रस घुल जाए,
मानस पटल पर छाप छूट जाए,
कुछ धुंधली, कुछ शाश्वत,
आओ लिखें कुछ नया.
नवीनता तो नियम है,
परिवर्तन प्रकृति का सत्य है,
लिखेंगे तो लिख ही लेंगे,
कुछ नूतन, कुछ चिरन्तन,
आओ लिखें कुछ नया.
यूँ ही निरंतर प्रयास ज़ारी रखे...बहुत बेहतर लिखा हैं
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद, अनु जी.
Deleteबहुत बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
नव विधान हो,
ReplyDeleteनव प्रधान हो,
हृद से उमड़े,
नवल ज्ञान हो।
Like!!
Deleteकुछ नूतन, कुछ चिरन्तन,
ReplyDeleteआओ लिखें कुछ नया.
मन के भावों की सुंदर प्रस्तुति
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
ReplyDeleteनवीनता की ओर सोचना और बढ़ना मनुष्य का स्वभाव है.
ReplyDeleteसुन्दर, सकारात्मक प्रस्तुति.
नित नूतन ... अवश्य!
ReplyDeleteआओ लिखें कुछ नया......सुंदर भाव
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